अपने गांव छोड़ने से पहले, उन्होंने एक-दूसरे के दुःख और सुख में साथ होने का वादा किया। उन्होंने ईमानदारी की शपथ ली और एक दूसरे को जरूरत की घड़ी में मदद का आश्वासन दिया। रास्ते में उन्हें एक जंगल से होकर गुजरना पड़ा। अभी वे घने जंगल में ज्यादा दूर भी नहीं गए थे कि उन्होंने खुद को एक बड़े भालू के साथ आमने-सामने पाया। भालू उनकी ओर बढ़ने लगा। वे असहाय और भयभीत महसूस करने लगे। उनमें से एक पेड़ पर चढ़ना जानता था।
उसने फौरन एक मजबूत डाली को पकड़ लिया और पेड़ पर चढ़ गया। दूसरा नहीं चढ़ सका। उसने सुना था कि भालू मरे हुओं को नहीं खाता। इसलिए वह जमीन पर लेट गया और मृत होने का नाटक करते हुए अपनी सांस रोक ली। इसी बीच भालू उसके पास आया और उसे सूंघ कर छोड़ दिया और भालू उसे छोड़कर चला गया।
भालू जब ओझल हो गया तो पेड़ पर बैठा दोस्त नीचे आ गया। उसने अपने मित्र से पूछा, "प्रिय मित्र, भालू ने तुम्हारे कान में क्या फुसफुसाया?" दूसरे ने जल्दी से उत्तर दिया, "भालू ने मुझे एक स्वार्थी मित्र पर भरोसा न करने की सलाह दी।" यह कहकर वह उसे छोड़कर चला गया।
शिक्षा : हर चमकती चीज सोना नहीं होती।
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