पूरा दिन मेहनत करने के बाद भी वो सिर्फ दो वक़्त की रोटी ही जुटा पाता था। वो हमेशा चाहता था कि उसे कोई बड़ा काम मिले जिसे उसकी आमदनी अच्छी हो। पर वो छोटी काम भी बड़े लगन और ईमानदारी से करता था।
एक दिन गांव के जमींदार ने मोहन को बुलाया और कहा – “सुनो मोहन! मैने तुम्हे यहां एक बहुत जरूरी काम के लिए बुलाया है। क्या तुम वो काम करोगे? ” मोहन – “जी हजूर! जरूर करूंगा। बताइए क्या काम है।” जमीनदार -” मै चाहता हूँ तुम मेरा नाव पेंट करो और ये काम आज ही हो जाना चाहिए।” मोहन – “जी हजूर! ये काम मै आज ही कर दूंगा।” मोहन सामान लेे कर आता है वो नाव को रंगना सुरु कर देता है।
जब मोहन नाव रंग रहा था तो उसने देखा नाव में छेद था। वो सोचा अगर इसे ऐसे ही पैंट करदिया जाएगा तो ये डूब जाएगी ऐसा सोच कर वो छेद को भर देता है और नाव को पैंट कर देता है। फिर जमीनदार के पास जाता है और कहता है -” हजूर! नाव का काम पूरा हो गया। आप चल कर देख लीजिए।”
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फिर वो दोनो नदी किनारे जाते है। नाव को देख कर जमीनदार बोलता है – “अरे वाह मोहन! तुमने तो बहुत अच्छा काम किया है। ऐसा करो तुम कल सुबह आ कर अपना पैसा ले जाना।” उसके बाद वो दोनो अपने अपने घर चले जाते है। अगले दिन जमींदार के परिवार उसी नाव में नदी के उसपार घूमने जाते है ।
शाम को जमींदार का नौकर रामू जो उसकी नाव की देख रेख भी करता था छुटी से वापस आता है और परिवार को घर पर ना देख कर जमींदार से परिवार वालों के बारे में पूछता है। जमींदार उसे सारी बात बताता है। जमींदार की बात सुन कर रामू चिंतन में पड़ जाता है , उसे चिंतित देख कर जमींदार पूछता है – “क्या हुआ रामू? ये बात सुन कर तुम चिंतित क्यूं हो गए। ” रामू – “सरकार! लेकिन उस नाव में तो छेद था। “
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रामू की बात सुन कर जमींदार भी चिंतित हो जाता है तभी उसके परिवार वाले पूरा दिन मौज मस्ती कर के वापस आ जाते है। उन्हें सकुशल देख कर जमींदार चैन की सांस लेता है। फिर अगले दिन जमींदार मोहन को बुलाता है और कहता है – “ये लो मोहन तुम्हारे मेहनत का पैसा , तुमने बहुत बढ़िया काम किया है। में बहुत खुश हूं। ” पैसे गिनने के बाद मोहन हैरान हो जाता है क्यूं की वो पैसे ज्यादा थे। वो जमींदार से कहता है – ” हजूर ! अपने मुझे गलती से ज्यादा पैसे दे दिए है”।
जमींदार – ” नहीं मोहन! ये मैने तुम्हे गलती से नहीं दिए। ये तुम्हारी मेहनत का ही पैसा है। क्यूं की तुमने बहुत बड़ा काम किया है। तुमने इस नाव की छेद को भर दिया जिस के बारे में मुझे पता भी नहीं था। अगर तुम चाहते तो उसे ऐसे भी छोड़ सकते थे। पर तुमने ऐसा बिल्कुल नहीं किया जिसकी वजह से मेरा परिवार सुरक्षित घर वापस आ गया है।
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