सोमवार, 24 जून 2019

आस्था की शक्ति

कहते हैं आस्था यानी की विश्वास एक ऐसी शक्ति है जो पत्थर को भी भगवन बना देती है! इसलिए यह कहानी एक बुढ़िया की विश्वास की है जो एक पाखंडी पर पूरा भरोसा करती है !

यह कहानी शुरू होती है एक डाकू और ठग से जो दोनों हीं अपने काम में बहुत माहिर थे ! डाकू जिसका नाम मोहर सिंह है और ठग जिसका लाखन है! एक दिन मोहर सिंह एक घर में चोरी करने घुसा लेकिन कहते है ना की हर किसी का एक बुरा दिन आता है इसलिए कह सकते हैं की मोहर सिंह के लिए भी वो दिन बुरा था और वो जैसे ही उस सेठ के घर से चोरी कर के निकल रहा था उस सेठ की नींद खुल गई, डाकू कुछ करता तब तक सेठ उसको पकड़ चूका था सेठ ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया और पुलिस ने उसे जेल में दाल दिया और भाग्यवश  उसी दिन ठग लाखन का दिन भी ख़राब था क्यों की वो जब वो एक व्यक्ति को ठग के जा ही रहा था की वो भी पकड़ा गया वो भी उसी लॉकप में गया जहाँ डाकू मोहर सिंह पहले से ही कैद था ! लाखन  ने जब उस डाकू को देखा तो उस से रहा नहीं गया और उसने पूछ लिया की भाई तुम कौन हो और यहाँ कैसे आये तो मोहर सिंह ने बोला की मै एक खुनी डाकू हूँ और अब तक 50 खून कर चूका हूँ 51 वाँ  कर देता लेकिन किस्मत ख़राब थी और पकड़ा गया! इस पे लाखन बोला अरे भाई आपकी आवाज़ इतनी मधुर है की किसी को अपशब्द भी बोलोगे तो वो मुस्कुरा के चला जाएगा ! इस पे डाकू बोलता है की वो तो ठीक है पर तू है कौन और यहाँ कैसे गया ? तो लाखन जो की ठग है उसने अपने बारे में बताया की में एक ठग हूँ और मेरा काम है लोगों को टोपी पहनाना और इधर उधर कर के अपना काम चला लेता हूँ लेकिन आज किस्मत साथ नहीं थी तो पकड़ा गया! डाकू बोला अच्छा ठीक है पर आगे क्या करना है ! इस पे ठग बोलता है देख है आज के समय में सिर्फ 2 चीजें ही नंबर 1 है ! एक तो है दादागिरी और दूसरा बाबागिरी ! लेकिन देख तू बुरा मत मानना तू दादागिरी तो कर नहीं पाएगा क्यों की उसके लिए तुझे लाशों के ढेर से होकर गुज़रना पड़ेगा और इस काम में जोखिम भी बहुत है इसलिए तू बाबागिरी शुरू कर दे तेरी वाणी भी इतनी मधुर है की क्या बताऊँ लोग पागल हो जाएँगे, इस काम में ना कोई जोखिम और ना ज्यादा मेहनत और ना पुलिस का डर ! क्या बोलता है मुझे अपना चेला बना ले जो कमाएँगे बराबर बराबर बाँट लिया करेंगे ! डाकू बोलै बात तो तू ठीक बोल रहा है पर पहले यहाँ से निकले तो सही ! इस पर ठग बोलता है की तू सिर्फ तैयार रहो बाकि सब मुझ पर छोड़ दो आज रात को हम यहाँ से भाग जायेंगे ! इस लिए ठग एक हवलदार को बुलाता है और उसे कुछ पैसे देकर बोलता है आज रात को यहाँ से निकलने का इंतजाम कर दो और साथ में गीता (ग्रन्थ ) का भी ! हवलदार वैसा ही करता है करीब रात को 12 बजे वो दोनों को एक गीता दे कर भगा देता है और आपातकालीन घंटी बजा देता है जिस के कारण पुलिस उन के पीछे पड़ जाती है लेकिन काफी दूर भागने के बाद वो दोनों पुलिस से बच जाते हैं और भागते भागते कहीं दूर एक गांव के पास एक छोटे से मंदिर में सो जाते हैं !

अगली सुबह जब गांव की कुछ औरतें नदी से पानी भरने के लिए आती है तो उन दोनों को वहां सोते हुए देखती है पर क्योंकि वो दोनों सोये हुए होते है तो बिना कुछ पूछे वहां से चली जाती है, अगले दिन भी ऐसा ही होता है इसलिए अब औरतें जब भी वहां जाती तो घर का बचा हुआ खाना ले जाती और वहां रख देती जिसे खा कर डाकू और ठग अपना दिनचर्या का गुजारा कर लेते ! 3 महीने तक ऐसा ही चलता रहा इसलिए गांव की उन औरतों से रहा नहीं गया क्योंकि 3 महीने में उन दोनों की वेष भूसा बाबा जैसी हो गयी थी इसलिए उन औरतों ने पूछा बाबा आप कौन हो यहाँ कैसे आये हमलोग कई महीनों से आपको देख रहें हैं ! इस पर मोहर सिंह ने अपने मधुर स्वर में गीता का एक श्लोक सुना दिया और औरतों ने जब बाबा की मधुर आवाज सुनी तो पागल सी हो गई और बोली की ये तो बहुत पहुँचे हुए बाबा है और सभी बाबा की जय जयकार करने लगी ! ये देखकर लाखन बहुत खुश हुआ और बोला सही जा रहे हो बाबा अपना सही समय गया है ! बाबा की बातें सुनकर सभी औरतें अपने अपने घर गयी तो बात पुरे गांव में सनसनी की तरह फैला दिया की गांव के बहार बहुत पहुँचे संत आये हैं !

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अगले दिन बहुत बड़ी भीड़ के साथ लोग बाबा के दर्शन और उनका सत्संग सुनने के लिए गए और बाबा सत्संग करने लगे ! अब बाबा लोगों में ज्यादा लोकप्रिय हो गए , लोग दूर दूर से बाबा का सत्संग सुनने के लिए आने लगे और बाबा को चंदा और दान भी ज्यादा मात्रा में आने लगा , बाबा ने अपना सत्संग करने के लिए टेन्ट और दरियाँ रख ली अब बाबा का काम अच्छा चल रहा था इसलिए डाकू मोहर सिंह और ठग लाखन सत्संग के बाद दारू , भोग विलास आदि में मस्त रहते थे, भले ही वो दुनिया के लिए बाबा हों लेकिन अंदर से तो अभी भी एक डाकू और ठग ही थे !

अब हर कोई बाबा की ही बातें करता था की बाबा बड़े अच्छे हैं बहुत पहुँचे हुए हैं और ये बात नदी पार एक गांव में रह रही एक 90 साल की बुढ़िया को पता चली जिसकी सिर्फ एक ही इच्छा थी की कोई उसे भगवन से मिला दे और जब उसने बाबा के बारे में सुना तो उसे लगा की बाबा ही वो व्यक्ति हैं जो उसे भगवन से मिला सकते हैं इसलिए वो अब बाबा से मिलना चाहती थी पर उस की सबसे बड़ी समस्या ये थी की आख़िरकार वो नदी कैसे पार करेगी क्योंकि नदी पर करने का एक ही साधन था वो था नाव और कोई नाव वाला नदी पर करवाने का 1 रुपया लेता था और बुढ़िया पुरे दिन काम कर के सिर्फ 1 रुपया ही कमा पाती थी जिस से वो अपना पेट भरती थी लेकिन उसे बाबा से मिलना था और सत्संग सुनना था इसलिए उसने एक मटके का इंतजाम किया और उस पर तेल की परत चढ़ा के उस की मदद से नदी पार कर के जैसे तैसे बाबा के सत्संग में पहुंची और बाबा का सत्संग सुन कर उसे ऐसा लगा जैसे ये वही बाबा हैं जो उसे भगवन से मिलाने आये हैं ! बुढ़िया बहुत खुश हुई और अपने घर लौट गई अब बुढ़िया रोज ऐसा ही करती पर उसके सामने समस्या ये थी की जब वो नदी पर करती तो पूरा भीग जाती जिसके कारण वो वहीँ दूर एक पेड़ के पास बैठ कर सत्संग सुनती लेकिन वो इस समस्या का समाधान चाहती थी और एक दिन ऐसा हुआ की बाबा जोश जोश में ये बोल दिया की में मोहर सिंह बाबा बोल रहा हूँ की यदि किसी व्यक्ति को अपने आरध्ये पर पूर्ण विश्वास है यदि वो पूरी आस्था रखता है तो में बोल रहा हूँ की वो पानी में भी चलेगा तो डूबेगा नहीं !

ये बात सुन कर बुढ़िया के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा उसे लगा ये बात बाबा ने सिर्फ उसके लिए ही बोला है इसलिए बुढ़िया ने मटका वहीँ फोड़ दिया और घर को जाने लगी, जब वो नदी के पास पहुंची तो अब उस ने अपनी आँख बंद की और बाबा को याद किया और पैर पानी में डाल दिया फिर क्या चमत्कार ही हो गया बुढ़िया पानी में डूबी नहीं बल्कि पानी के ऊपर चलने लगी, बुढ़िया की परेशानी दूर हो गई अब वो रोज ठुमक ठुमक कर आती और सत्संग सुनती और चली जाती ! अब जैसे बुढ़िया की इच्छा पूरी होती रही इसलिए उसके मन में एक विचार आया की बाबा ने उसे इतना सब दिया तो क्यों एक दिन बाबा को दावत दी जाये !

अगले दिन वो बाबा के पास गई और उनके पैर पकड़ लिया, ये सब भीड़ देख रही थी की एक बुढ़िया बाबा के पैरों में गिर रही है , बाबा को थोड़ी शर्मिन्दगी महसूस हुई उस ने बोला माते उठिये क्या बात है बोलिये ? बुढ़िया बोली बाबा मेरी बस एक ही इच्छा है की आप मेरे घर पे चलें और भोजन ग्रहण करें इस पर बाबा बोले बस इतनी सी बात, चलिए अभी चलते हैं ये बात सुनकर बुढ़िया बहुत खुश हुई और उधर जब लोगों ने ये बात सुनी तो बाबा की जय जयकार के नारे लगाने लगे यह सब देख कर लाखन मन मन सोच रहा था की अरे वाह बाबा की तो मौज गई, पहले तो सिर्फ दक्षिणा आती थी अब न्योते भी आने लगे !



अब बाबा बुढ़िया के साथ उसके घर की तरफ चल पड़े और पीछे पीछे लोगों की भीड़ और एक आवाज बाबा की जय, बाबा की जय की आवाज गूंज रही थी अब बाबा जब नदी के पास पहुंचे तो देखते है की नदी पार करने के लिए बुढ़िया ने कोई इंतजाम नहीं किया है फिर बाबा ने बोला माता आपने हमारे उस पार जाने के लिए कोई साधन की व्यवस्था नहीं किया है इस पे बुढ़िया बोलती है की बाबा आप क्यों मुझ बुढ़िया का मजाक उड़ा रहे हैं आपने ही तो कहा था की यदि कोई व्यक्ति अपने आराध्ये पर पूर्ण विश्वास रखे और सब कुछ उस पर छोड़ कर सिर्फ सच्चे दिल से उसका ध्यान करे तो अगर वो पानी पर भी चलेगा तो भी वह नहीं डूबेगा इसलिए मैंने कोई साधन नहीं किया है और आप जानते हैं की मेरी आय इतनी नहीं है की मै कोई साधन कर सकूँ ! ये बात सुनकर बाबा मन में सोचता है की बुढ़िया पागल हो गई है, भला कोई पानी के ऊपर कैसे चल सकता है , इतने में पीछे से आवाज आती है की अरे देखो बाबा कितने महान है इन्होंने बुढ़िया को पानी के ऊपर चलने की शक्ति दी है ! बाबा की जय, बाबा की जय ! उधर बाबा को कुछ समझ नहीं रहा था की अब वो क्या करे ? आज बाबा को ऐसा लग रहा था की उनका का इम्तेहान है! बुढ़िया बोली चलो ना बाबा अब किस का इंतजार कर रहे हो आप बाबा अपने चेले लाखन को बोले पहले तुम चलो इस पर चेला बोला बाबा आज मेरा पेट ठीक नहीं है आप जाओ मै तो चला ! अब बाबा पूरी तरह से फँस चूका था क्योंकि आगे भी मौत नज़र रही थी और पीछे भी, क्योंकि वो आगे नहीं गया तो पीछे भीड़ को असलियत का पता चल जायेगा और लोग उसे जिन्दा नहीं छोड़ेंगे !

इसलिए वो बुढ़िया को बोलता है माते पहले आप चलें फिर मै आता हूँ , बुढ़िया ने ये बात सुन कर आँखे बंद किया और पानी में पैर डाल दिया और ठुमक ठुमक कर नदी पार कर गई ! जब ये नज़ारा लोगो ने देखा तो दंग रह गए, खुद बाबा भी ये चमत्कार देख कर हक्काबक्का रह गया ! अब उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था और उधर लोगों की जय जयकार की गूँज और अधिक तेज़ हो गई ! नदी उस पार से बुढ़िया चिल्ला रही थी आओ ना बाबा, जल्दी आओ ! अब बाबा का दिमाग दो हिस्सों में बँट गया, एक दिमाग बोल रहा है की ये शक्ति उसे मुझसे मिली है तो अगर वो पानी में चल सकती है तो मै क्यों नहीं और दूसरा दिमाग बोल रहा है की डूब गया तो, अब अब बाबा को खुद पर हीं विश्वास नहीं है फिर भी अब बाबा के पास कोई बहाना नहीं है इसलिए बाबा ने आँख बंद किया और पानी में पैर डाल दिया, फिर क्या वही हुआ जो होना था, बाबा पानी में डूब गया, जब यह नजारा लोगों ने देखा तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ की बाबा पानी में डूब गए, फिर लोगों ने लाखन को पकड़ा और पूछा बता बाबा पानी में कैसे डूब गए तब लाखन नें लोगों को हकीकत बताया की वो बाबा नहीं है बल्कि एक डाकू है और मै ठग हूँ ! जब ये बात लोगों ने सुनी तो उन्हें गुस्से से रहा नहीं गया और लाखन को इतना मारा की वो वहीँ पर मर गया ! इस तरीके से मोहर सिंह और लाखन को उनके किये की सजा मिल गई और बुढ़िया को एक झूठे गुरु पर पूर्ण विश्वास होने के कारण एक शक्ति प्राप्त हुई जो शक्ति थी विश्वास की !

इसलिए आस्था की शक्ति एक ऐसी शक्ति है जो पत्थर को भी भगवान बना देती है !

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