मंगलवार, 2 अगस्त 2022

मूर्ख स्वामी

एक गाँव में सोहन नामक एक धोबी रहता था उसके पास एक गधा और एक कुता था।

एक दिन धोबी के घर में तीन चोर घुस गये। धोबी खरटेि भर रहा था, अन्य घरवाले भी गहरी नींद में सोए हुए थे। यह देखकर चोरों ने अवसर का लाभ उठाना उचित समझा। उन्होंने घर की सभी कीमती वस्तुएँ इकट्ठी कर ली और जाने लगे।

गधा और कुता यह सब देख रहे थे। गधे के मन में स्वामी के प्रति कर्तव्य भावना जाग उठीं। उसने कुछ कहने के लिए कुते की ओर देखा। कुता चुपचाप आंखें मुदे पड़ा था । गधे को उसकी यह बात बहुत बुरी लगी। उसने कुते से कहा।

“अरे भाई! यह सब देखकर भी तू खामोश है, तेरे मालिक का घर लुट रहा है और तू आँखें मूंद कर लेटा है, कैसा नौकर है तू, तेरे मन में मालिक के प्रति जरा भी कर्तव्यपरायणता नहीं है, तेरी जाति तो वफादारी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।”


ये भी पढ़ें: मेहनत का फल


गधे ने कुते की सोई आत्मा को जगाने की कोशिश की पर कुते पर कोई असर ना हुआ, वह शान्त भाव में बोला-“मुझे क्या आवश्यकता पड़ी है जो कि मैं भौंक-भौंक कर अपना गला खराब करूँ, यदि घर लुट रहा है तो लुटने दो। आराम से सो जाओ।”

कुते की इस बात पर गधे का मन उसके प्रति ग्लानि महसूस करने लगा,

वह कुते को उसकी हीनता का एहसास कराते हुए बोला-“अरे कुते! तू इतना नीच कब से हो गया तूने तो अपनी जाति का नाम ही डुबो दिया ।”

“ओ गधे भैय्या! तुझे क्या पता मैंने इस धोबी का कितना साथ दिया है और इसने मुझे क्या दिया, दो टुकड़े रोटी के, वो भी सूखे हुए अगर तुझे इससे इतनी हमदर्दी है तो तू ही जगा दे इसे, मैं तो सो रहा हूँ।” कहकर कुते ने आंखें मुंद लीं।

गधा उसके इस व्यवहार पर झल्ला उठा। उसने स्वामी के माल की रक्षा हेतु स्वयं ही रम्भाना आरम्भ कर दिया।


गधे की रम्भाहट सुनकर धोबी गुस्से में भरकर उठा, और लाठी लेकर गधे पर बरस पड़ा।

गधा बेचारा पिटते-पिटते अधमरा हो गया तो धोबी फिर जाकर सो गया।

इधर माल चोर लेकर रफूचक्कर हो गये थे। धोबी के जाने के बाद कुते ने धीरे से आंखें खोलीं। एक नजर अधमरे गधे पर डाली फिर धीरे से बोला-“आया मज़ा, स्वामी की सेवा करने की इतनी अच्छी मेवा किसी और को मिलते मैंने आज तक नहीं देखी।”

कुते की बात सुनकर गधे का सिर नीचा हो गया।

शिक्षा-“स्वामी यदि बुद्धिमान है तो उसके किसी नौकर को किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। और यदि स्वामी ही मूर्ख है तो नौकर कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो, वह भी मूर्ख ही बन जाता है। जिस प्रकार गधे ने तो अपने स्वामी की रक्षा के लिए रम्भाकर उसे जगाया और उसने उसी पर मार बजा दी।”

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें