एक घने जंगल में, एक बहुत लालची बंदर रहता था जिसका नाम मोंटू था। मोंटू को हमेशा और चाहिए होता था, चाहे वह फल हो, मेवे हों, या कुछ और हो। एक दिन, जंगल में घूमते हुए, उसे एक चमकदार, जादुई पेड़ मिला। यह पेड़ सोने के फलों से लदा हुआ था!
मोंटू की आँखें चमक उठीं। उसने सोचा, "अगर मैं इन सभी फलों को ले लूं, तो मैं जंगल का सबसे अमीर बंदर बन जाऊंगा!"
उसने पेड़ से सारे फल तोड़ लिए और उन्हें एक बड़ी टोकरी में भर लिया। टोकरी इतनी भारी थी कि उसे ले जाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन मोंटू ने हार नहीं मानी। वह अपने घर की ओर हाँफते हुए चला, उसके दिमाग में केवल सोना ही सोना था।
जैसे ही वह अपने घर के पास पहुँचा, उसने देखा कि एक बूढ़ा बंदर पेड़ के नीचे बैठा है। बूढ़ा बंदर बहुत भूखा और थका हुआ लग रहा था। मोंटू ने सोचा, "अगर मैं इस बूढ़े बंदर को कुछ फल दे दूं, तो वह मुझे परेशान करता रहेगा।"
लेकिन फिर, उसने बूढ़े बंदर के चेहरे पर उदासी देखी। उसे एहसास हुआ कि उसने कितना स्वार्थी काम किया है।
मोंटू ने अपनी टोकरी खोली और बूढ़े बंदर को कुछ फल दिए। बूढ़ा बंदर बहुत खुश हुआ। उसने मोंटू को धन्यवाद दिया और उसे बताया कि जादुई पेड़ केवल उन लोगों को फल देता है जो दूसरों के साथ दयालु होते हैं।
मोंटू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने बूढ़े बंदर से माफी मांगी और उसे वादा किया कि वह कभी भी इतना लालची नहीं होगा।
उस दिन से, मोंटू एक अलग बंदर बन गया। वह हमेशा दूसरों की मदद करता था और उसने कभी भी सोने के फलों के बारे में नहीं सोचा। वह जानता था कि सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने में है, न कि सोने के फलों में।
सीख: लालच एक बुरी आदत है। हमें हमेशा दूसरों के साथ दयालु और उदार होना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें