यह एक बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है जिसमें एक बूढ़ी माँ है जो अपने दो पुत्रों को बहुत प्रेम करती थी। उनके बड़े बेटे का नाम रामु है और छोटे बेटे का नाम श्यामु है।
एक दिन, बूढ़ी माँ ने अपने पुत्रों को साथ बुलाया और उन्हें सोने के ज्वैलरी दी। रामु ने अपने भाई को देखकर सोचा, "मेरा भाई बहुत ही बड़ा लालची है। मैं इसका ख्याल रखूँगा।" लेकिन श्यामु को इस विचार का ध्यान नहीं था।
कुछ दिन बाद, रामु ने अपने माँ को बताया कि श्यामु ने सोने के ज्वैलरी को चुरा लिया है। बूढ़ी माँ को बहुत दुःख हुआ, लेकिन उन्होंने श्यामु को माफ किया और कहा, "बेटा, लालच से बड़ी कोई बुराई नहीं होती। लेकिन अब से तुम्हें अपनी गलती समझनी चाहिए और इसे दुहराना नहीं चाहिए।"
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श्यामु ने गलती समझ ली और वह अपने भैया और माँ के प्रति सच्चे मन से उत्तरदायी हो गया। इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि लालच से बड़ी कोई बुराई नहीं होती और हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए।
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